उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार (27 अगस्त 2027) को बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में चयनित 2,425 मुख्य सेविकाओं और 13 फार्मासिस्टों को नियुक्ति पत्र सौंपा। इन सभी का चयन उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा हुआ है। यह नियुक्तियाँ प्रदेश की आंगनबाड़ी तंत्र को मजबूत करने और महिला एवं बाल विकास सेवाओं को नई दिशा देने में अहम साबित होंगी।
दरअसल, सीएम योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही आधारभूत संरचना, किसान कल्याण, शिक्षा एवं चिकित्सा व्यवस्था को प्राथमिकता दी। इन प्रयासों का असर आज प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर साफ दिखाई देता है। समाजवादी पार्टी और अन्य सरकारों के दौर में जहाँ लोगों को बुनियादी सुविधाओं तक के लिए संघर्ष करना पड़ता था, वहीं आज स्थितियाँ पूरी तरह बदल चुकी हैं।
सत्ता में आते ही सीएम योगी ने स्वास्थ्य क्षेत्र को गंभीरता से लिया और लगातार विकासात्मक कदम उठाए। उनके कठिन परिश्रम और स्पष्ट विज़न ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे अग्रणी राज्यों की श्रेणी में ला खड़ा किया।
मेडिकल कॉलेजों का विस्तार
ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर मेडिकल कॉलेजों तक योगी सरकार ने विशेष ध्यान दिया। बीते 8 वर्षों में प्रदेश में 80 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित हुए हैं— जिनमें 44 सरकारी और 36 निजी कॉलेज शामिल हैं। इसके चलते MBBS और PG की सीटें दोगुनी हो गईं।
अब अधिक युवा डॉक्टर बन रहे हैं, उच्च शिक्षा ले रहे हैं और स्वास्थ्य शोध को आगे बढ़ा रहे हैं।
इसके अलावा, आयुष चिकित्सा में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। अयोध्या और वाराणसी में आयुर्वेद और होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज खोले गए। वर्तमान में प्रदेश में 2110 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी और 1585 होम्योपैथिक संस्थान कार्यरत हैं। साथ ही, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना भी हो रही है।
2017 में जब अखिलेश यादव ने सत्ता छोड़ी, उस समय प्रदेश में केवल 17 मेडिकल कॉलेज थे। योगी राज में यह संख्या पाँच गुना बढ़कर 80 हो गई है। लक्ष्य है कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित हो— One District One Medical College की तर्ज पर।
जनऔषधि केंद्र और सस्ती दवाएँ
पहले गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को लखनऊ, वाराणसी या नोएडा जैसे बड़े शहरों का रुख करना पड़ता था, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ता था। अब जिलों में ही मेडिकल कॉलेज और अस्पताल हैं। साथ ही, केंद्र सरकार के सहयोग से जनऔषधि केंद्र खोले गए हैं, जहाँ महंगी दवाएँ 90% तक सस्ती मिल रही हैं।
विशेष अस्पताल और आधुनिक सुविधाएँ
लखनऊ में कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल
SGPGI में डायबिटीज़ सेंटर और 500 बेड का बाल चिकित्सा विभाग
IIT कानपुर में 500 बेड का सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और मेडिकल रिसर्च स्कूल
ये सभी प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊँचाई पर ले गए हैं।
कोरोना काल का प्रबंधन
कोरोना महामारी के समय जब पूरे देश में ऑक्सीजन और बेड की कमी थी, उस वक्त योगी सरकार ने इसे चुनौती के रूप में लिया। आज अधिकांश अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट हैं, बेड की संख्या दोगुनी हो चुकी है और डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी बढ़े हैं।
पूर्वांचल में इन्सेफेलाइटिस पर नियंत्रण
2017 से पहले इन्सेफेलाइटिस हर साल हजारों बच्चों की जान ले लेता था। समाजवादी सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। सीएम योगी ने इस पर कड़े कदम उठाए और आज यह बीमारी लगभग समाप्ति की कगार पर है।
बाल व मातृ मृत्यु दर में कमी
योगी सरकार के प्रयासों से बाल मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में भारी कमी आई है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सेविकाओं ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। इसी कारण सरकार ने:
अब तक 20,000 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की।
3,000 से अधिक सहायिकाओं को कार्यकत्री पद पर प्रमोट किया।
22,290 मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मुख्य कार्यकत्री बनाया।
20 साल बाद, मुख्य सेविकाओं को पदोन्नत कर 197 बाल विकास परियोजना अधिकारी बनाया गया।
नर्सिंग और पैरामेडिकल में सुधार
9,000 नई सीटें जोड़ी गईं।
बंद पड़े ANM प्रशिक्षण केंद्र फिर शुरू किए गए।
31 नए नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं।
मिशन निरामया के तहत मेंटॉर-मेंटी मॉडल लागू हुआ।
सभी जिलों में डायलिसिस और CT स्कैन सुविधाएँ उपलब्ध कराई गईं।
आधारभूत स्वास्थ्य ढाँचा
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत 515 ब्लॉक हेल्थ यूनिट, 74 क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल और 75 पब्लिक हेल्थ लैब स्थापित हो रहे हैं।
86 सेंटिनल लैब्स और अपेक्स लैब से जाँच क्षमता में 210% की वृद्धि हुई है।
डेंगू और मलेरिया से होने वाली मौतों में क्रमशः 93% की कमी।
22,000 आरोग्य मंदिरों में जाँच व टेली-कंसल्टेशन की सुविधा।
5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज का लाभ।
72 स्वास्थ्य इकाइयाँ अब सौर ऊर्जा से संचालित हैं।
BIMARU से आगे बढ़ता उत्तर प्रदेश
2017 में जब योगी आदित्यनाथ सत्ता में आए, उत्तर प्रदेश BIMARU राज्यों में गिना जाता था। लेकिन अब प्रदेश:
बिजली उत्पादन, सड़क निर्माण, कानून व्यवस्था, आधारभूत ढाँचा, GDP ग्रोथ, स्वास्थ्य और शिक्षा में अभूतपूर्व सुधार कर चुका है।
गरीबी में 20% से अधिक की कमी आई है।
2021-22 में उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र को पीछे छोड़ देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना।
ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस में गुजरात और महाराष्ट्र को पछाड़ा।
नीति आयोग के SDG इंडिया इंडेक्स में यूपी 29वें से उठकर 18वें स्थान पर पहुँचा।
निष्कर्ष
आंकड़े यह बताने के लिए पर्याप्त है कि एक मजबूत नेतृत्व वाली सरकार में उत्तर प्रदेश किस तरह से विकास की नई गाथा लिख रहा है। पिछले 8 वर्षों में उत्तर प्रदेश ने एक BIMARU राज्य से विकसित प्रदेश बनने की दिशा में ऐतिहासिक छलांग लगाई है। आने वाले पाँच वर्ष इस प्रगति को और तेज करेंगे। वर्ष 2027 में योगी सरकार की वापसी प्रदेश को देश के सबसे अग्रणी राज्यों में खड़ा कर देगी।
आइए, एक साथ कदम बढ़ाएं और अपने देश को एक बेहतरीन भविष्य की ओर अग्रसर करें।
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